क़िस्से बनेंगे अब के बरस भी कमाल के…
Jul 17
ગઝલ Comments Off on क़िस्से बनेंगे अब के बरस भी कमाल के…
क़िस्से बनेंगे अब के बरस भी कमाल के…
पिछला बरस तो गया है कलेजा निकाल के…
तुमको नया ये साल मुबारक हो दोस्तों,
मैं जख़्म गिन रहा हूँ अभी पिछले साल के…
माना कि जिंदगी से बहुत प्यार है मगर,
कब तक रखोगे काँच का बर्तन संभाल के ?
ऐ मीर-ए-कारवां मुझे मुड़ कर ना देख तू,
मैं आ रहा हूँ पाँव के काँटे निकाल के.
– ख़लील धनतेजवी
स्वर : ओसमाण मीर