ऐय मेरे देश
Jan 27
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ऐय मेरे देश
मैंने तुझसे निर्बंध प्यार पाया.
माटी (मिट्टी) से स्नेह पाया जलसे दुलार पाया
झरनों मे तेरे पावन संगीत खेलता है.
तेरे पर्वतोंपे सूरज कविता उँडेलता है.
तेरी खेतीयोंसे जीवन, तेरे जंगलों से दर्शन
सदियोंने पत्थरोंसे, अनमिट श्रृंगार पाया.
जो कुछ मिला है तुझसे में तुझको सौंप दूंगा.
तुझसेही में उठा हूँ तुझमेंही आ मिलूँगा.
सबकुछ लूटा चुका हूँ फिर भी ऋणी हूँ तेरा.
मैंने दिए हैं दो कण, तुझसे अपार पाया
-प्रेम धवन
स्वर : रविन् नायक
स्वरांकन : रविन् नायक.