ડો ભરત પટેલ
अब मैं नाच्यौ बहुत गुपाल।
साधो सहज समाधि भली।
ऐसो को उदार जग माहीं।
अजहूँ न निकसे प्रान कठोर
नरहरि चंचल है मति मेरी
बिसर गई सब तात पराई
नाम जपन क्यों छोड़ दिया
ડો ભરત પટેલ
अब मैं नाच्यौ बहुत गुपाल।
अब मैं नाच्यौ बहुत गुपाल।
काम-क्रोध कौ पहिरि चोलना, कंठ बिषय की माल॥
महामोह के नूपुर बाजत, निंदा सबद रसाल।
भ्रम-भोयौ मन भयौ, पखावज, चलत असंगत चाल॥
तृष्ना नाद करति घट भीतर, नाना विधि दै ताल।
माया कौ कटि फेंटा बाँध्यौ, लोभ-तिलक दियौ भाल॥
कोटिक कला काछि दिखराई जल-थल सुधि नहिं काल।
सूरदास की सबै अबिद्या दूरि करौ नँदलाल॥
સ્વર : ગાર્ગી વોરા
સ્વરાંકન : ડો. ભરત પટેલ
સંગીત : ડો. ભરત પટેલ
વાયોલિન : હપ્પુખાન
સિતાર :ભગીરથ ભટ્ટ
તબલા : મિતેષ ઓઝા
રિધમ એરેન્જમેન્ટ :નિલેશ પાઠક
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साधो सहज समाधि भली।
साधो सहज समाधि भली।
गुरु प्रताप जा दिन से जागी, दिन-दिन अधिक चली।।
जहं-जहं डोलौं सो परिकरमा जो कछु करौं सो सेवा।
जब सोवौं तब करौं दंडवत, पूजौं और न देवा।।
कहौं सो नाम सुनौं सो सुमिरन, खावं पियौं सो पूजा।
गिरह उजाड़ एक सम लेखौं, भाव मिटावौं दूजा।।
आंख न मूंदौं कान न रूंधौं, तनिक कष्ट नहिं धारौं।
खुले नैन पहिचानौं हंसि-हंसि, सुंदर रूप निहारौं।
शबद निरंतर से मन लागा, मलिन वासना त्यागी।
ऊठत बैठत कबहुं न छूटै, ऐसी तारी लागी।।
कह कबीर यह उनमनि रहनी, सो परगट करि गाई।
दुख सुख से कोई परे परमपद, तेहि पद रहा समाई।।
-कबीर
સ્વર : નિધિ ધોળકિયા
સ્વરાંકન :ડો. ભરત પટેલ
વાયોલિન:હપ્પુખાન
સિતાર :ભગીરથ ભટ્ટ
તબલા :મિતેષ ઓઝા
રિધમ એરેન્જમેન્ટ:નિલેશ પાઠક
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ऐसो को उदार जग माहीं।
भजन-3
ऐसो को उदार जग माहीं।
बिनु सेवा जो द्रवै दीन पर राम सरिस कोउ नाहीं॥
जो गति जोग बिराग जतन करि नहिं पावत मुनि ग्यानी।
सो गीत देत गीध सबरी कहँ प्रभु न बहुत जिय जानी॥
जो संपति दस सीस अरस करि रावन सिव पहँ लीन्हीं।
लो संपदा बिभीषन कहँ अति सकुच-सहित हरि दीन्हीं॥
तुलसिदास सब भाँति सकल सुख जो चाहसि मन मेरो।
तौ भजु राम, काम सब पूरन करैं कृपिनिधि तेरो॥
– તુલસીદાસ
સ્વર :પિયુ સરખેલ
સ્વરાંકન :ડો. ભરત પટેલ
સંગીત : ડો. ભરત પટેલ
વાયોલિન :હપ્પુખાન
સિતાર : ભગીરથ ભટ્ટ
તબલા :મિતેષ ઓઝા
રિધમ એરેન્જમેન્ટ :નિલેશ પાઠક
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अजहूँ न निकसे प्रान कठोर
अजहूँ न निकसे प्रान कठोर
दरसन बिना बहुत दिन बीते सुंदर प्रीतम मोर.
चारि पहर चारों जुग बीते रैनि गंवाई भोर .
अवधि गई अजहूँ नहिं आए कतहुँ रहे चितचोर.
कबहूँ नैन निरखि नहिं देखे मारग चितवत तोर.
दादू ऐसे आतुर बिरहिनि जैसे चन्द चकोर.
-संत कवि… दादू दयाल
સ્વર : પિયુ સરખેલ
સ્વરાંકન : ડો. ભરત પટેલ
સંગીત : ડો. ભરત પટેલ
વાયોલિન : હપ્પુખાન
સિતાર :ભગીરથ ભટ્ટ
તબલા : મિતેષ ઓઝા
રિધમ એરેન્જમેન્ટ :નિલેશ પાઠક
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नरहरि चंचल है मति मेरी
नरहरि चंचल है मति मेरी, कैसे भगती करूँ मैं तेरी,
नरहरि चंचल है मति मेरी, कैसे भगती करूँ मैं तेरी,
कैसे भगती करूँ मैं तेरी,
तू मोहिं देखै, हौं तोहिं देखूं, प्रीति परस्पर होई,
तू मोहिं देखै, तोहिं न देखूं, यह मति सब बुधि खोई,
सब घट अंतर रमसि निरंतर, मैं देखन नहीं जाना,
गुन सब तोर, मोर सब औगुन, कृत उपकार न माना,
मैं तैं तोरी, मोरि असमझि सों, कैसे करी निस्तार,
कही ‘रैदास’ कृष्ण करुनामय, जय जय जगत-आधार,
संत कवि… रैदास
સ્વર : પ્રહર વોરા
સ્વરાંકન :ડો. ભરત પટેલ
વાયોલિન:હપ્પુખાન
સિતાર :ભગીરથ ભટ્ટ
તબલા :મિતેષ ઓઝા
રિધમ એરેન્જમેન્ટ:નિલેશ પાઠક
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बिसर गई सब तात पराई
बिसर गई सब तात पराई
बिसर गई सब तात पराई
जब ते साध संगत मोहे पाई
ना कोई बैरी नहीं बेगाना
सगल संग हमको बन आई
बिसर गई सब तात पराई
जो प्रभु कीनो सो भली मानियो
यह सुमत साधु ते पाई
बिसर गई सब तात पराई
सब में रव रहिया प्रभु एक
पेख पेख नानक बिगसाई
बिसर गई सब तात पराई
-નાનક સાહેબ
સ્વર : નિધિ ધોળકિયા
સ્વરાંકન :ડો. ભરત પટેલ
વાયોલિન:હપ્પુખાન
સિતાર :ભગીરથ ભટ્ટ
તબલા :મિતેષ ઓઝા
રિધમ એરેન્જમેન્ટ:નિલેશ પાઠક
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नाम जपन क्यों छोड़ दिया
नाम जपन क्यों छोड़ दिया
क्रोध न छोड़ा झूठ न छोड़ा, सत्य बचन क्यों छोड दिया
झूठे जग में दिल ललचा कर, असल वतन क्यों छोड दिया
कौड़ी को तो खूब सम्भाला, लाल रतन क्यों छोड दिया
जिन सुमिरन से अति सुख पावे, तिन सुमिरन क्यों छोड़ दिया
खालस इक भगवान भरोसे, तन मन धन क्यों ना छोड़ दिया
-संतकवि…खालस
સ્વર : ગાર્ગી વોરા
સ્વરાંકન : ડો. ભરત પટેલ
સંગીત : ડો. ભરત પટેલ
વાયોલિન : હપ્પુખાન
સિતાર :ભગીરથ ભટ્ટ
તબલા : મિતેષ ઓઝા
રિધમ એરેન્જમેન્ટ :નિલેશ પાઠક
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